हम उस मोड़ पर गए भी नहीं
और आगे निकल गए ...
ऐ ज़िंदगी तूने रुकने ना दिया,
पीछे कितने सपने सुहाने निकल गए ...
🤔🤔
My Empty Thoughts
हम उस मोड़ पर गए भी नहीं
और आगे निकल गए ...
ऐ ज़िंदगी तूने रुकने ना दिया,
पीछे कितने सपने सुहाने निकल गए ...
🤔🤔
बात इतनी सी नहीं है जो
यहीं ख़त्म हो जाएगी,
लड़ाई लम्बी है
और दूर तक जाएगी
मिटने लगी हैं वो सारी रेखाएँ
उन उपलब्धियों की,
जो खींची थी हमने
कई सदियों में
गिरने लगी यूँ शानो शौक़त की दीवारें
इक छोटे से ही धक्के से,
सिमटी हुई हैं ज़िंदगी
यूँ कुछ दिवारों में,
झांकती हैं बाहर
आशाओं के झरोखों से
ये आहट ही थी उन कदमों की
जो आगे बढ़े हैं,
समेटने इस दुनिया को
इन कदमों से
लड़ेंगे
रोकेंगे
और जीतेंगे हम
जो होंगे साथ दूर दूर होके ...
कहीं तो रुकेगा जो शुरू हुआ है,
ये कारवाँ ही तो है।
लम्बी हो या छोटी पूरी तो होगी,
ये दूरी ही तो है...
रुकी नहीं है,
बस थोड़ी थमी है।
आगे फिर भी बढ़ेगी,
ये ज़िंदगी ही तो है...
शांत हूँ
चौराहे पे खड़ा
किस ओर चलूँ का अंतर्द्वंद
या आगे बढ़ने की इच्छाशक्ति
या फिर दोनो
प्रश्न हैं और कई प्रश्न हैं
उत्तर हैं कुछ, कुछ निरुत्तर हैं